Fri. Oct 10th, 2025


सेंटर के संचालक डॉ राकेश कुमार व डॉ वंदना के प्रयासों से विशेष बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह कार्य कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं
गाजियाबादः
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, स्पीच एंड लैंग्वेज डिले, लर्निंग डिसेबिलिटी, डाउन सिंड्रोम, सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर जैसी स्थितियां हो सकती हैं, बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक विकास को प्रभावित करती हैं। इसके बावजूद समाज ऐसे बच्चों को लेकर आज भी जागरूक नहीं है। ऐसे में ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर ऐसे बच्चों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आया है। सेंटर ऐसे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के जीवन को नई दिशा व दशा प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडने का कार्य रहा है। केंद्र के संचालक डॉ राकेश कुमार व डॉ वंदना बाल मानसिक स्वास्थ्य और न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों के क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखते हैं। उनका कहना है कि बच्चों को लेबल नहीं, अवसर चाहिए और यदि सही समय पर सही मार्गदर्शन मिले तो तो हर बच्चा समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकता है। उन्होंने बताया कि कुछ बच्चे ना तो समय पर बोल पाते हैं, न आँखों में आंखें डालकर संवाद कर पाते हैंए और न ही साधारण सामाजिक वातावरण में सहज महसूस कर पाते हैं। ऐसे बच्चों को अक्सर विशेष आवश्यकता वाले बच्चे कहा जाता है। माता-पिता तक समझ नहीं पाते कि उनके बच्चे को डांटने की नहीं बल्कि समझने, जाँच कराने और विशेष सहायता द की ज़रूरत है। सेंटर की टीम में विशेष शिक्षा, थैरेपी, काउंसलिंग और पुनर्वास के क्षेत्र में प्रशिक्षित विशेषज्ञ मौजूद हैं, जो हर बच्चे को व्यक्तिगत रूप से समझते हुए उसकी ज़रूरत के अनुसार योजना बनाते हैं। स्पेशल एजुकेटर गीतांक्षी बच्चों की शैक्षणिक कठिनाइयों को समझकर उनके लिए आइईपी प्रोग्राम बनाती हैं, जिसमें उनकी समझ, ध्यान, सामाजिक व्यवहार, लेखन, गणना आदि के विकास पर कार्य किया जाता है। उनके निर्देशन में कई बच्चे अब नियमित स्कूलिंग की ओर बढ़ रहे हैं। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट अनुकेत उन बच्चों के साथ काम करते हैं जिन्हें मोटर स्किल्स जैसे पकड़, संतुलन, शरीर नियंत्रण, सेंसरी इनपुट आवाज़, स्पर्श, गंध आदि से असामान्य प्रतिक्रिय, या दैनिक जीवन के काम ;खाना खानाए कपड़े पहनना, बटन लगाना आदि में कठिनाई होती है। वे बच्चों को स्वावलंबी बनाने और जीवन कौशल सिखाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्पीच थैरेपिस्ट दीपक कुमार उन बच्चों के लिए मार्गदर्शक हैं जो या तो बोल नहीं पाते, ठीक से उच्चारण नहीं कर पाते, अपनी बात स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर सकते। उनके थेरेपी से कई बच्चों ने ना सिर्फ शब्दों को बोलना सीखा, वरन मां और पापा जैसे शब्द कहकर पूरे परिवार की आँखों में खुशी के आँसू ला दिए। सेंटर में हर बच्चे की थैरेपी के साथ.साथ माता.पिता को भी ट्रेनिंग दी जाती है कि वे घर पर कैसे बच्चे के व्यवहार, भाषा, ध्यान और सामाजिक कौशल में सहयोग कर सकते हैं। डॉण् वंदना का मानना है कि परिवार ही बच्चे का पहला और सबसे प्रभावशाली शिक्षक होता है। ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर न केवल थेरेपी का स्थान है, बल्कि एक ऐसा संवेदनशील और सुरक्षित माहौल है, जहाँ बच्चे सहज महसूस करते हैं, डर और हिचक को पीछे छोड़ते हैं और धीरे.धीरे जीवन की मुख्यधारा की ओर बढ़ते हैं। यह केंद्र दर्जनों विशेष बच्चों की ज़िंदगी में सकारात्मक परिवर्तन ला चुका है। डॉण् राकेश कुमार कहते हैं कि हर बच्चा अलग है। अतः ज़रूरत केवल समय पर पहचान और सही दिशा की है। विशेष ज़रूरत वाले बच्चों को नज़रंदाज़ करने की बजाय उन्हें समय रहते उचित चिकित्सा, शिक्षा और सहयोग उपलब्ध कराया जाए तो वह भी आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और समाज का गरिमामय सदस्य बन सकता है और
ब्रेन क्लिनिक और ऑटिज्म रिहैबिलिटेशन सेंटर दिशा में अहम भूूमिका निभा रहा है।

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